Achhe Log Dukhi Kyo Rahte Hai और पापी लोग हमेशा खुश रहते हैं?

Achhe Log Dukhi Kyo Rahte Hai | Papi Log Sukhi Kyo Rahte Hai ( अच्छे लोग दुखी क्यों रहते हैं? पापी लोग हमेशा खुश रहते हैं? )

अच्छे लोग दुखी क्यों रहते हैं और पापी पाखंडी लोग हमेशा खुश रहते हैं और मौज उड़ाते हैं। इसके दो कारण हैं दोनों ही कारण मैं आपको आज बताती हूं सबसे पहले अच्छे लोग दुखी क्यों रहते हैं एक कहानी के माध्यम से समझते हैं।

एक नगर में विधवा स्त्री रहती थी। उसकी तीन छोटी-छोटी बेटियां थी जवानी में ही उसके पति गुजर गए थे। तीनों छोटी-छोटी बच्चियों को पालने का भार बेचारी उस अबला पर ढल गया तीनों बच्चों को लेकर वह विधवा जाए तो कहां जाए कुछ काम धाम भी नहीं कर सकती थी। ऊपर से समाज की उल्टी सीधी बातें उसे कुछ नहीं करने देती थी बेचारी लाचार उस महिला का कोई सहारा नहीं था। वह अपने पति को याद करके उन बच्चियों को जैसे-तैसे पाल रही थी। पति के गम में बीमार पड़ गई उसे उन बच्चियों की चिंता थी।

Achhe Log Dukhi Kyo Rahte Hai ( अच्छे लोग दुखी क्यों रहते हैं? )

कि क्या होगा कैसे इनका पालन-पोषण होगा उन्हीं बातों को सोच सोच कर एक दिन उसकी तबीयत बिगड़ गई। उसका अंतिम समय निकट आ गया था धर्मराज का एक दूत उस विधवा स्त्री के प्राण लेने धरती पर आया। लेकिन वहां का नजारा देख वह दुविधा में पड़ गया उसने देखा महिला जमीन पर पड़ी हुई है और उसकी तीनों बेटियां उसके ऊपर सिर रखकर पड़ी है। यह देख कर उसको दया आ गई और वह बच्चियां अपनी मां को रो-रो कर जगा रही थी फिर दूत ने सोचा इनका पिता पहले ही मर चुका है। अगर मैं इस स्त्री के प्राण लेकर गया तो यह बच्चियां किसके सहारे रहेगी कौन इनका पालन-पोषण करेगा। यह सोचकर वह देवदूत और स्त्री के प्राण लिए बिना ही लोट गया धर्मराज कहता है। तुम तो उस स्त्री के प्राण लेने गए थे फिर खाली हाथ कैसे आ गई तब देवदूत कहता है।

हे स्वामी मेरी गलती को क्षमा करना मैं चाह कर भी उस स्त्री के प्राण नहीं ला पाया। अगर मेरी जगह आप होते तो शायद आप खाली हाथ ही लौट कर आते मैं उस महिला की बच्चियों का दुख नहीं देख पाया और रो रही थी। उन्हें वहां कोई देखने वाला भी नहीं था यदि मैं उस महिला को ले आता तो उन बच्चियों को कौन देखता कौन उनको पालता पोषता। पृथ्वी लोक मनुष्य तो इतने स्वार्थी हो गए कि बिना मतलब के तो कोई किसी का सहारा भी नहीं बनता। यदि कोई मदद भी कर देता है तो वह बदले की उम्मीद करता है या फिर उसे अपने अहसान के नीचे जीवन भर दबाकर रखना चाहता है।

Papi Log Sukhi Kyo Rahte Hai ( पापी लोग हमेशा खुश रहते हैं? )

देवदूत कहता है हे स्वामी उस महिला को थोड़ा और समय दे दिया जाए ताकि वह अपनी बच्चियों को पाल पोस कर बड़ा कर सके। देवदूत की बात सुनकर धर्मराज ने उसे डांटते हुए कहा अरे मूर्ख ईश्वर की बनाई गई सृष्टि में ना कोई एक क्षण घट सकता है और ना कोई बढ़ सकता है। उसकी मर्जी के बिना ना उसे जीवन दे सकते हैं और ना समय से पहले मार सकते हैं। ईश्वर जो करता है सबके साथ अच्छा ही करता है तुम कौन होते हो विधाता के नेक को बदलने वाले।

तुमने उस महिला को ना लाकर ईश्वर के नियम का उल्लंघन किया है। तुमने बहुत बड़ा अपराध कर दिया इसलिए तुम्हें इसका परिणाम भोगना ही पड़ेगा जाओ जिस पृथ्वी के मनुष्य से तुम्हारी ममता है। उसी पृथ्वी पर मनुष्य बन कर अपना पाप भोगो। देवदूत कहता है हे स्वामी धरती लोक से मेरा उद्धार कब होगा। और कैसे होगा धर्मराज कहता है धरती पर जाकर तुम अपनी मूर्खता पर तीन बार खिल खिला कर हंस लोगे तब तुम्हारा उद्धार हो जाएगा। इतना कहकर धर्मराज ने उस देवदूत को धरती पर धकेल दिया वह धरती लोक पर मनुष्य शरीर में आ चुका था। उसके शरीर पर वस्त्र नहीं थे यहां का एक नियम है जब मनुष्य जन्म लेता है तो उस समय वह नगन होता है।

Papi Log Sukhi Kyo Rahte Hai ( पापी लोग सुखी क्यों रहते हैं )

देवदूत ने जन्म तो नहीं लिया और वह निर्वस्त्र ही एक सड़क के किनारे पड़ा ठंड से ठिठुर रहा था वहीं से एक मोची गुजर रहा था। वह मोची अपने बच्चों को ठंड से बचाने के लिए कपड़े लेने जा रहा था। रास्ते में ठंड से ठिठुरते एक नगन व्यक्ति को देख कर उसे दया आ गई उसने अपने बच्चे को तो कपड़े नहीं लिए।लेकिन उस देव दूध को कपड़े और कंबल जरूर खरीद लाया और कपड़े लाकर उस देवदूत को दे दिए। देवदूत कहने लगा है भाई आपने मुझे कपड़े देखकर मुझ पर बहुत बड़ा उपकार किया है। लेकिन कपड़े देकर आपने मुझे ठंड से तो दूर कर दिया ना तो मेरा कोई घर है और ना कोई परिवार ना कोई भोजन का कोई साधन।

Acche Log Dukhi Kyon rahte hain And Paapi log Sukhi Kyon rahte hain

तब मोची बोला है भाई तुम मेरे घर चलो मैं तुम्हारा सारा खर्चा उठा लूंगा और वह मोची देवदूत को लेकर घर पहुंचा उधर मोची की पत्नी ने देखा कि उसका पति बच्चों को कपड़े लेने गया था। कपड़े तो कुछ लाए नहीं उल्टा एक आदमी को घर बुला लाया है।पत्नी अपने पति से झगड़ने लगी और उसे भला-बुरा कहने लगे यह देखकर वह देवदूत बहुत जोर जोर से हंस पड़ा। मोची ने पूछा अरे भाई तुम हंसते क्यों हो। ऐसा क्या देख लिया आपने तब देवदूत ने कहा है भाई मेरी हंसी का रहस्य मैं आपको नहीं बता सकता समय आने पर मैं तुम्हें स्वयं बता दूंगा।

वह देवदूत मौची के घर में रहने लगा और कुछ ही दिनों में उसने मोची का सारा काम सीख लिया। देवदूत के द्वारा बनाए गए जूते और चप्पल खूब बिक रही थी कुछ ही दिनों में मोची धनवान बन गया दूर-दूर तक उसके जूते फेमस हो गए थे यहां तक कि राजा महाराज तक उससे जूते बनवाने का आदेश देते थे जब से देवदूत उसके घर आया था उसकी तो किस्मत ही चमक गई थी धन की कोई कमी नहीं रही सब कुछ अच्छा चलने लगा एक दिन की बात राजा का एक सैनिक चमड़ा लेकर उसी मोची के पास आया और बोला देखो हमारे महाराज इसी चाम के बने जूते पहनना चाहते हैं यह चाम बड़ा कीमती है तुम ठीक से इसे 1 जोड़ी जूते तैयार कर दो यह चाम खराब नहीं होना चाहिए। पर ध्यान रखना इस चमड़े के जूते ही बनने चाहिए।

Acche Log Dukhi Kyon rahte hain

भूल से भी इसकी चप्पल मत बना देना राजा का सैनिक चमड़ा देकर चला गया। इधर मोची ने भी देवदूत को समझाया कि देखो राजा वाली बात है इसमें कोई गलती ना करना चमड़ा भी बहुत कम है। इसलिए चमड़ा खराब नहीं होना चाहिए। जूते कि वह कह कर गया है तो जूते ही बनाना गलती से यदि चप्पल बना दी तो राजा हमें कठिन से भी कठिन सजा देगा।

मोची के इतना समझाने के बाद भी देवदूत ने चमड़े से चप्पल ही बनाई। चप्पल देकर मोची की सांसें फूल गई वह देवदूत को डांटने लगा यहां तक कि डंडा लेकर उसे मारने के लिए दौड़ा कहने लगा अबे मूर्ख तुझे बार-बार समझाया कि जूते ही बनाना लेकिन तूने चप्पल ही बना दी अब राजा हमें नहीं छोड़ेगा तू भी मरेगा और साथ में मै भी मारा जाऊंगा वह हमारे पूरे घर को फांसी लगवा देगा मोची को अत्यंत दुखी देखकर देवदूत एकदम से देखकर खिलखिला कर हंसने लगा। मोची बोला अबे मूर्ख आदमी काम बिगाड़ कर अब हस रहा है वह देखो जूते लेने राजा का सैनिक आ गया। और बोला है मोची भाई कल जो में चमड़ा दे गया था। उसके जूते मत बनाना चप्पल बना देना क्योंकि राजा साहब का देहांत हो गया है और यहां की प्रथा है मरने वाले व्यक्ति को चमड़े की चप्पल पहना कर अर्थी पर लेटा या जाता है।

सैनिक की बात सुनकर मोची को ऐसा लगा जैसे मरे हुए शरीर में जान आ गई हो। इसके हाथ से डंडा छूट कर गिर गया और उसने देव दूध के पैर पकड़ लिए और उससे माफी मांगने लगा। देवदूत मोची की इस हरकत पर जोर जोर से हंस रहा था। मोची ने पूछा तुम क्यों हंस रहे हो तो देवदूत ने कहा समय आने पर इसका कारण बता दूंगा। दूसरे दिन एक बुढ़िया के साथ तीन लड़कियां मोची की दुकान पर आई थी उनकी शादी होने वाली थी। और वह तीनों अपने लिए जूतों की नाप देने आई थी देवदूत ने तीनों लड़कियों को पहचान लिया कि यह तीन वही लड़कियां वही है। जिनकी माँ को न ले जाने के कारण आज मैं अपने किए की सजा भोग रहा हूं। और यह लड़कियां काफी बड़ी हो गई है अच्छे घर में पली-बढ़ी मालूम पड़ रही है।

Paapi log Sukhi Kyon rahte hain

बुढ़िया कहती है हां बेटा बचपन में इनकी मां चल बसी इसलिए इनको मैंने मेरे पास रख लिया मेरे पास करोड़ों की दौलत है और दुर्भाग्य से मेरा भी कोई नहीं है। तो इनको मैंने मेरे पास रख ली है मैंने इनको पढ़ाया लिखाया और अब इनकी बहुत खानदान में इनकी शादी कराने जा रही हूं। लड़कियों का भाग्य देखकर देवदूत सोचता है परमात्मा जो करता है। अच्छा ही करता है अगर उस समय में इनकी मां नहीं मरती तो आज यह भुखमरी और दरिद्रता में ही पड़ी रहती इनकी मां के मरने के बाद आज तीनों लड़कियां बहुत बड़े घराने की बहू बनने जा रही है। और इस बुढ़िया की करोड़ों की संपत्ति की मालिक भी बन चुकी है।

यह सब देखकर देवदूत अपनी पहले की मूर्खता को सोचकर जोर-जोर से हंसने लगा मोची ने पूछा आप क्यों हंस रहे हो अपनी हंसी का कारण बताओ। देवदूत मोची से कहता है मैं एक देवदूत हूं और अभी जो यह तीनों लड़कियां जो जूतों की नाप देकर गई है इनके माता को लेने आया था। लेकिन उस समय यह तीनों छोटी छोटी थी तो इन पर तरस खाकर मैं इनकी मां को नहीं ले गया और इनके पिता का पहले ही निधन हो गया था।

इस कारण मुझे धर्मराज ने श्राप देकर धरती पर भेज दिया मैं बिना कपड़े के एक सड़क के किनारे पड़ा था तब तुम मुझे अपने घर ले आए और उस समय तुम्हारी पत्नी तुमको खूब लड़ी थी। क्योंकि तुमने अपने बच्चों के कपड़ों के पैसों से मेरे लिए कंबल और कपड़े खरीद लिए थे। तब मैं पहली बार तुम्हारी पत्नी की मूर्खता को देखकर खूब हंसा था। क्योंकि तुम्हारी पत्नी उस लाभ को नहीं देख पा रही थी जो मेरे आने से तुम्हारे घर में होने वाला था। और दूसरी बार हंसी जब आई जब तुम राजा के जूते नहीं बना सके और तुम डंडा लेकर मेरे पीछे भागे थे। उस समय तुम राजा के बारे में सोच रहे थे लेकिन तुमको यह मालूम नहीं था राजा के साथ क्या घटना घटने वाली है। जिसके कारण राजा को जूतों से अधिक तत्वों की आवश्यकता पड़ गई। हम किसी भी चीज को देखकर या सोच कर दुख मनाते हैं जो हम उसे नहीं देख पाते वह होने वाला होता है कई बार परमात्मा हमारी अच्छा या भलाई के लिए हमारे साथ बुरा करता है पर हम उसे देखकर भगवान को कोशते हैं।

अच्छे लोग दुखी क्यों रहते हैं? पापी लोग हमेशा खुश रहते हैं?

हम उस अच्छे को नहीं देख पाते जो हमारे साथ भविष्य में होने वाला है। कहीं बार हमारे साथ वर्तमान में अच्छा होता है तो हम बहुत खुश होते हैं लेकिन हम यह नहीं देख पाते कि भविष्य में क्या होने वाला है। हमारे साथ हमेशा दो तरह की घटना होती है अच्छी और बुरी लेकिन हमें हमेशा यह सोचना चाहिए भगवान जो करेगा अच्छा ही करेगा यह सोचकर आगे बढ़ना चाहिए।

अच्छे लोग दुखी इसीलिए रहते हैं कि अच्छे लोगों के साथ बाद में अच्छा हो सके। और दूसरा कारण यह है कि अच्छे लोग हमेशा ईश्वर से जुड़ रहते है और इनको ईश्वर से जुड़ा रहना भी जरूरी है। कि उन पर दुख आते रहना चाहिए अंत में देवदूत मोची को सब कुछ समझा कर वापस धर्मराज के पास चला गया

Achhe Log Dukhi Kyo Rahte Hai | Papi Log Sukhi Kyo Rahte Hai
HOME VISIT

 

Achhe Log Dukhi Kyo Rahte Hai
Achhe Log Dukhi Kyo Rahte Hai

People also ask

पापी मनुष्य सुखी क्यों रहता है? ( Paapi log Sukhi Kyon rahte hain )

पापी मनुष्य सुखी नहीं रहता है, क्योंकि पाप करने से उसकी आत्मा में दुःख बढ़ता है। जीवन का सच्चा सुख सत्य, धर्म और निष्काम कर्म में होता है। इन तीनों के अभ्यास से मनुष्य शुद्ध बुद्धि, शांति और आनंद की प्राप्ति करता है।

अच्छे लोग दुखी क्यों रहते हैं? ( acche log Dukhi Kyon rahte hain )

अच्छे लोग दुखी नहीं रहते हैं, लेकिन कभी-कभी उन्हें भी कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है। वे अपने दुख को छिपाकर रखते हैं और दूसरों की मदद करने के लिए प्रयासरत रहते हैं। अच्छे लोग दृढ़ता और सामर्थ्य से समस्याओं का सामना करते हैं और अंततः सफलता की ओर बढ़ते हैं। इसलिए, अच्छे लोग दुखी नहीं होते हैं, वे अपने अंदर की शक्ति से समस्याओं का सामना करते हुए सफल होते हैं।

पापी लोग हमेशा खुश रहते हैं? ( Paapi log Hamesha Khush rahte hain )

नहीं, पापी लोग हमेशा खुश नहीं रहते हैं। वे अपने अनिष्ट कार्यों के कारण अपनी आत्मा में दुख और असंतोष को बढ़ाते हैं। इसके बाद भी, कुछ लोग पाप करने में आनंद और सुख का अनुभव करते हैं, लेकिन यह असत्य होता है और अंततः उन्हें दुःख ही मिलता है। सत्य, धर्म और निष्काम कर्म के अनुसरण से ही व्यक्ति सही सुख को प्राप्त कर सकता है।

सुखी मनुष्य कौन है? ( Sukhi vyakti kaun hai hai hai )

सुखी मनुष्य वह है जो अपने आसपास के लोगों के साथ प्रेम और सम्मान के साथ रहता है। वह व्यक्ति जो सत्य, धर्म और निष्काम कर्म में विश्वास रखता है और दूसरों की मदद करने के लिए तत्पर होता है। सुखी मनुष्य वह है जो सभी से प्रेम और सम्मान का व्यवहार करता है और सभी के भले के लिए प्रयास करता है। इस तरह का जीवन जीने वाला व्यक्ति शांति, सुख और समृद्धि का अनुभव करता है।

सुखी व्यक्ति की क्या पहचान है? ( Sukhi vyakti Ki pahchan )

सुखी व्यक्ति की पहचान उसकी खुशी, संतुष्टि और आनंद होती है। वह व्यक्ति जो अपने जीवन के हर पहलू में संतुष्ट होता है, जीवन को एक उत्सव के रूप में देखता है, और खुशियों को शेयर करता है। वह व्यक्ति जो संतुष्ट होता है अपनी ज़िन्दगी में जो कुछ है, जो अपने साथ है उससे खुश होता है और उसे ज्यादा कुछ नहीं चाहता। सुखी व्यक्ति खुश रहने के लिए मजबूर नहीं होता, वह जीवन में अपने वास्तविक आनंद का आनंद लेता है।

जिंदगी का सबसे बड़ा सुख क्या है? ( Zindgi ka sabse bada Sukh kya hai )

जीवन का सबसे बड़ा सुख है जीवन में अपने कर्तव्य को पूरा करना। जब हम अपने कर्तव्य को पूरा करते हैं तो हमारा मन संतुष्ट होता है और हम जीवन का आनंद लेते हैं। अपने कर्तव्य को पूरा करने से हम अपने जीवन में सफलता प्राप्त करते हैं जो हमें और अधिक उत्साहित करती है। इसके अलावा, वैयक्तिक संतुष्टि, परिवार और मित्रों के साथ समय बिताना और सेवा करना जीवन के सबसे बड़े सुख हैं।

आदमी को सबसे ज्यादा दुख कब होता है? ( aadami ko sabse Jyada Dukh kab hota hai )

आदमी को सबसे ज्यादा दुख तब होता है जब वह अपने प्रियजनों को खो देता है। प्रियजनों के मृत्यु का दुख कोई भी उसकी जगह नहीं ले सकता है। वह दुख एक ऐसी तकलीफ होती है जो मनुष्य को अपनी असमर्थता का एहसास कराती है। इसके अलावा, आदमी को दुख ज्यादा होता है जब वह अपनी स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं से गुज़रता है, वित्तीय समस्याएं होती हैं या वह जीवन के अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों से जूझता है।

तीन दुख कौन से हैं? ( teen dukh kaun se Hain )

तीन दुःख हैं:

1. आध्यात्मिक दुःख: जो मनुष्य को अपनी आत्मा के साथ जुड़ा होता है, जैसे अज्ञानता, दुर्विवेक, अज्ञान और मोह।

2. भौतिक दुःख: जो मनुष्य को उसके शरीर के साथ जुड़ा होता है, जैसे रोग, दर्द, रोग-रुज़ान और उम्र की बढ़ती हुई मांग।

3. आध्यात्मिक-भौतिक दुःख: जो मनुष्य को उसके मानसिक और भावनात्मक स्तर पर जुड़ा होता है, जैसे किसी के मृत्यु का दुःख, विवाद, दुखी रिश्तों, विवाह-विच्छेद, व्यवसायिक तंगी आदि।

दुनिया में सबसे दुखी व्यक्ति कौन है? ( Duniya Mein sabse Dukhi vyakti kaun hai )

दुनिया में सबसे दुखी व्यक्ति का पता नहीं हो सकता है क्योंकि हर व्यक्ति अपनी अपनी ज़िन्दगी में दुःख और सुख दोनों को जीता है। दुःख और सुख जीवन का नियम हैं जिससे कोई भी बच नहीं सकता। हालांकि, हम यह कह सकते हैं कि उन लोगों में से जो भौतिक, मानसिक या आध्यात्मिक समस्याओं से पीड़ित हैं, वे दुःखी होते हैं। इसलिए, हमें उनकी मदद करनी चाहिए जिससे हम एक दूसरे के दुःख को कम कर सकते हैं।

दुख का मुख्य कारण क्या है? ( Dukh ka mukhya Karan kya hai )

दुःख का मुख्य कारण मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक कारण हो सकते हैं। व्यक्ति के जीवन में उसके अनुभवों, संघर्षों, तनाव, समस्याओं, बीमारियों और अज्ञानता से उत्पन्न होने वाले कारण दुःख का मूल हो सकते हैं। भौतिक और मानसिक तनाव भी दुःख का मुख्य कारण होते हैं। साथ ही आध्यात्मिक अनुभवों जैसे कि निराशा, असफलता, विचारों में उलझन आदि भी दुःख का मूल होते हैं।

Rhythm Chanana Biography वायरल वीडियो लड़की

Shivani Rao Biography Hindi

hindi kahani hindi kahaniya kahaniya in hindi stories in hindi kahani hindi stories hindi story hindi kahaniyan story in hindi kahani kahani hindi fairy tales kahaniya moral kahani hindi moral stories koo koo tv hindi moral kahaniya kahani in hindi hindi moral story ki kahani hindi kahani saas bahu ki kahani hindi animated stories kahani hindi koo koo tv hindi story hindi comedy new kahani garib ki kahani hindi kahani wala

हिंदी कहानी मजेदार कहानियां कहानी इन हिंदी हिंदी कहानी सुनाओ छोटी कहानी इन हिंदी हिंदी कहानी मजेदार

Leave a Comment