मोर मोरनी की कहानी | Mor Morni Ki Kahani | Peacock of Story |

Mor Morni Ki Kahani

आज की कहानी जो मैं आपको सुनाने जा रही हूं यह कहानी बहुत ही ज्ञानवर्धक कहानी है जो लोग इस कहानी को पूरे मन से और दिल से सुनते हैं उसके घर में कभी भी कोई कलेश उत्पन्न नहीं होगा उसके घर में हमेशा सुख और शांति बनी रहेगी उसके घर में माता लक्ष्मी का आगमन रहेगा यह तो आपने सुना ही होगा कि जिसके घर में रोज झगड़े होते तो रोज कलेश रहता हैं उस घर में कभी भी बरकत नहीं होती उस घर में कभी माता लक्ष्मी का आगमन नहीं होता और जिसके घर में सुख शांति होती है

उसके घर में सुख समृद्धि की आगमन होती है और माता लक्ष्मी का निवास उसके घर पर सदा बना रहता है इस कहानी को सुनने के बाद आपको यह पता चल जाएगा कि हमें घर में लड़ाई झगड़े क्यों नहीं करना चाहिए और जिसके घर में लड़ाई झगड़े होते हैं उनको कैसे रोक सकता है क्योंकि घर में सुख शांति का होना बहुत जरूरी है क्योंकि जहां सुख शांति होता है वही माता लक्ष्मी निवास करती है

जहां कलेश उत्पन्न होते हैं लड़ाई झगड़े उत्पन्न होते हैं वहाँ माता लक्ष्मी का वास नहीं होता वहां पर दुख और दरिद्रता का निवास होता है हो सके तो इस कहानी को पूरा सुने यह कहानी आपके जीवन में बहुत सारी सीख देंगे यह बहुत ही ज्ञानवर्धक कहानी है इसे जरूर सुने कहानी है एक मोर और मोरनी की इससे पहले कि आप हमारी कहानी में खो जाए चैनल को सब्सक्राइब करना ना भूले चलिए कहानी शुरू करते हैं

एक जंगल में एक मोर और मोरनी रहती थी मोर और मोरनी बहुत ही हंसी खुशी जंगल में रहा करते थे एक दिन मोरनी मोर से कहती है कि पिया जी हमें यहां से चलना चाहिए हमें वहां चलना चाहिए जहां हमारे समाज के लोग रहते हैं मोर कहता है हम वहां चलेंगे तो लड़ाई झगड़े होंगे हम दोनों इस जंगल में कितने सुकून से रहते हैं हमें वहां जाने की क्या जरूरत है लेकिन मोरनी जिद्द करने लगती है तो मोर भी मान जाता है और वे दोनों उड़कर एक नगर में आ जाते हैं कुशीनगर का राजा पशु पक्षियों की भाषा को आसानी से समझता था उस राजा ने करा शास्त्र की पढ़ाई की थी

करा शास्त्र का मतलब यही होता है कि पशु पक्षियों की भाषा को समझ पाना वह राजा सभी प्रकार के पशु पक्षियों का आवाज को समझ पाता था और जीव जंतु के आवाज को आसानी समझता था कि वह क्या कर रहा है दोनों मोर और मोरनी कुशीनगर में आ जाते हैं 1 दिन की बात है राजा अपनी रानी से कहता है कि है रानी मुझे बहुत तगड़ी भूख लगी है आप मुझे भोजन खिला दीजिए राजा की रानी 36 प्रकार का भोजन बना करके एक हाथ में पानी का लोटा और दूसरे हाथ में खाना का थाली लेकर राजा के पास पहुंचते हैं रानी जैसे ही भोजन का थाली राजा के समक्ष रखती है तो यह चावल का टुकड़ा नीचे गिर जाता है

वहीं पर कुछ चीटियां घूम रही थी तो एक चींटी चावल के टुकड़े लेकर वहां से जाने लगती है राजा बैठा इस घटना को देख रहा था और चींटी के पास में तुरंत ही एक बड़ा चींटा आता है और वह चींटा चींटी से कहता है या चावल का टुकड़ा मुझे दे दीजिए और पूजा की थाली से दूसरा चावल का टुकड़ा लेकर आओ उनकी बातों को राजा पूरी तरह से सुन रहा था क्योंकि राजा जानवर पशु पक्षियों की भाषा को समझ सकता था तो राजा वहीं बैठा सुन रहा था कि चींटा चीटी से यह बात कह रहा है चीटी चींटा से कहती है कि नहीं मैं नहीं जाऊंगी

अगर यह बात राजा को पता चल जाएगी तो राजा मुझे मार देगा फिर चींटा चीटी से कहता है कि तुम जाओ राजा को नहीं पता चलेगा चींटी फिर जाने की कोशिश तो करती है लेकिन आधे रास्ते से वापस चली आती है और चींटा से कहती है नहीं मैं नहीं जाऊंगी हो सकता है राजा को पता चल जाए और मुझे मार दे राजा उन दोनों को देख रहा था तो चींटा को इस बात का भान हो जाता है कि राजा हमारी बात को समझ रहा है फिर से कहता है कि देखो लगता है राजा हमारी बात को समझ रहा है

राजा ने हमारी बातों को सुन लिया है इसीलिए वह भी देख रहा है चीटी चीटा से कहती है अगर राजा ने हमारी बात को सुन तो लिया अगर यह बात राजा किसी और को बताएगा तो उसी समय पत्थर का बन जाएगा राजा चींटा और चींटी की बात को बखूबी सुन लेता है और समझ लेता है राजा इस बात को सुनकर हसने लगता है जैसे ही राजा को हंसी आती है उधर राजा की रानी रसोई से बाहर आती है वह जैसे ही रसोई से बाहर निकलती है उसे राजा हंसता हुआ दिखाई देता है रानी राजा को हंसते हुए देखकर सोचने लगती है

कि शायद मुझसे कोई गलती हुई है इसलिए राजा साहब हस रहे हैं रानी राजा के पास आती है और कहती है महाराज क्या मुझसे कोई गलती हुई है कि आप इतने जोरो से हंस रहे हैं राजा रानी से कहता है कि नहीं नहीं ऐसी कोई बात नहीं है मुझे बस यूं ही हंसी आ गई रानी जिद करने लगती है और कहती है आपको मुझे बताना पड़ेगा कि आप क्यों हंस रहे थे राजा बार-बार मना करता है क्योंकि राजा को पता था क्योंकि चींटी ने कहा है कि अगर मैं चींटी वाला बात किसी को बताऊंगा तो मैं पत्थर का बन जाऊंगा इसीलिए राजा रानी को यह बात नहीं बताना चाहता था

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लेकिन रानी बार-बार जिद करती है और कहती है कि आपको मुझे बताना ही पड़ेगा कि आप क्यों हंस रहे थे अगर आप मुझसे सच्चा प्रेम करते हैं अगर आप मुझे अपना समझते हैं तो आपको यह बताना पड़ेगा कि आप क्यों हंस रहे थे अब राजा बड़ा ही धर्म संकट में पड़ जाता है राजा सोचता है यह बात रानी को बताऊंगा तो मैं पत्थर का बन जाऊंगा और फिर सोचता है और मैं नहीं बताऊंगा तो रानी का विश्वास खत्म हो जाएगा रानी बहुत जिद करने लगती है कहते हैं ना तेरह हट और बारह हट बहुत तगड़ी होती है इन दोनों हट से बच के रहना चाहिए रानी के तेरह हट के सामने राजा को झुकना पड़ता हैऔर राजा रानी से कहता है कि ठीक है अगर यह बात मैं आपको बताऊंगा तो बाद में आपको पछताना पड़ेगा रानी खाती है

कि अभी तो आप कह रहे थे कि कोई बात नहीं है अभी आप कह रहे हैं कि मुझे पछताना पड़ेगा रानी खाती है कि जरूर कोई तगड़ी बात है और रानी को और ज्यादा जिद करने लगती है तब राजा कहता है ठीक है अगर आप नहीं मान रही है तो चलिए मैं किसी जंगल में यह बात बताऊंगा राजा रानी रथ पर सवार होकर के जंगल के लिए निकल जाते हैं जैसे ही वह घनघोर जंगल में पहुंच जाते हैं तब राजा सारी बात रानी को सुनाने लगता है जैसे ही राजा थोड़ी-थोड़ी बात रानी को सुना ते गया और राजा राजा धीरे-धीरे पत्थर का बनता गया

जैसे राजा आधी बात रानी को सुनाई राजा आधा पत्थर का हो गया राजा फिर रानी से कहता है मैं धीरे-धीरे पत्थर का बनता जा रहा हूं बाद में बहुत पछताओगे रानी कहती है कि हे राजा साहब थोड़ी सी बात बची है आप उसे भी सुना दीजिए राजा पूरी बात बता देता है और राजा पूरा पत्थर का बन जाता है रानी के ज़िद्द के कारण राजा पूरा पत्थर का बन जाता है रानी रोने लगती है रानी उस पत्थर को हिलाने की कोशिश करती है लेकिन भारी भरकम पत्थर कैसे हिला पाती क्योंकि राजा बहुत ही भारी था राजा पत्थर का बन जाता है और उधर रानी सर पटक कर रोती है छाती पीटती हैं विलाप करती है और किसी जीव जंतु से सहायता के लिए गुहार करती है इस सब कहानी को मोर और मोरनी देख रहे थे रानी को देखकर मोर और मोरनी को दया आ जाती है मोर मोरनी से कहता है कि यह होता है तेरह हट आपके इस तेरह हट की वजह से हम जंगल में कितना खुशी-खुशी रह रहे थे वहां से हम यहां चले आए मोरनी मोर से कहती हैं कि प्रिय यह रानी बहुत दुखी हो रही है हमें इसकी सहायता जरूर करनी चाहिए यह इतना विलाप कर रही हैं हम ज्यादा तो सहायता नहीं कर सकते लेकिन कम से कम इसको धीरज तो दे ही सकते हैं यानी इसको विश्वास तो हम दिलाही सकते हैं

यही सोचकर मोर और मोरनी उस रानी के पास जाते हैं और जाकर के रानी से कहते हैं कि रानी साहिबा जो हुआ वह तो गलत हुआ लेकिन आप जरा धीरज रखिए अपने आपको थोड़ा संभालिए आपके पीछे पूरा राज्य हैं राजा तो पत्थर का हो चुका है अब आपकी राज्य का कारोबार आपको ही संभालना है रानी मोर मोरनी की बात सुनने के बाद कहते हैं कि भाई मोर मोरनी मैं अपने आप को कैसे संभालूं क्योंकि अब तो मेरा संसार उजड़ गया है क्योंकि मेरा पति परमेश्वर पत्थर का बन चुका है अब मैं क्या करूं रानी की यह बात सुनते ही उधर मोरनी के मुखिया निकल जाता है कि राजा पत्थर के कैसे हो गए है रानी वही बात बताने लगती है जो राजा ने चींटी वाली बात रानी को बताई थी

रानी वही बात मोर और मोरनी को बताने लगती है और रानी भी धीरे-धीरे करके पत्थर का बन जाती है और जब रानी पत्थर की हो जाती है और राजा तो पत्थर का हो ही चुका था जब दोनों पत्थर के हो जाते हैं उधर मोर मोरनी को चिंता सताने लगती है उधर मोर और मोरनी बहुत दुखी हो जाते हैं और मोरनी को यह चिंता सताने लगती है कि अभी हम पर भारी संकट आ सकती हैं मोर मोरनी को यह बात सताने लगती है कि हम भी पत्थर के नहीं बन जाये क्योंकि राजा भी उसी चींटी वाले बात से पत्थर का हो चुका है और रानी भी उसी चींटी वाले बात से पत्थर का हो चुकी है और मोर मोरनी से कहता है कि हम पर भी खतरा मंडरा रहा है क्योंकि इस तरह से कोई भी बात नहीं है

Mor Morni Ki Kahani
Mor Morni Ki Kahani

जो तुम्हारे मुँह में रह सके मोरनी कहती है यहां से हम दूर चले मोर कहता है दूर जाने से क्या फायदा है धरती के किसी भी कोने में हमारा पीछा नहीं छूटेगा यह खतरा तो हमेशा हमारे ऊपर मंडराते रहेगा अगर जाने अनजाने में भी हमारे मुंह से निकल गई तो हम भी पत्थर का बन जाएगी इसी बात को लेकर मोर और मोरनी बहुत दुखी हो जाते हैं रात दिन यह सोचकर वो ना भोजन करते और ना चैन से सोते बस रात दिन उनको यही दुख सताता कि कहीं हमारे मुख से निकल ना जाए यदि हमारे मुंह से यह बात भूल कर भी निकल गई तो हम दोनों पति-पत्नी पत्थर का बन जाएंगे यही सोचकर और दिमाग लगाया कि यदि मैं सारे चीटियों को खत्म कर दूं तो यह सब खत्म हो सकता है

क्योंकि सारा करा धरा चीटियों का है मोर मोरनी से कहता हैअगर हम दृष्टि से सभी चीटियों को खत्म कर दे तो यह सब संकट समाप्त हो जाएगा मोर मोरनी इस बात से राजी हो जाते हैं और सभी चीटियों को मारकर खाना शुरु कर देते हैं मोर और मोरनी का इतना आतंक हो गया था कि सभी चीटियां डर के मारे और बिल के अंदर जाकर छिप गई मोर और मोरनी ऐसी निगरानी रखते और कहि भी चींटी दिखती तुरंत दबोच लेती कोई भी चींटी मोर और मोरनी की इस आतंक की वजह से बाहर ही नहीं आते थे

सभी चीटियों ने जमीन के अंदर अपना बिल बनाना शुरू कर दिया और जमीन के अंदर ही जाकर बैठ जाती काफी समय बीतने के बाद चीटियों को भूख सताने लगी क्योंकि भोजन तो दिन में मिलता नहीं भोजन तो बाहर मिलता है जैसे भोजन लेने के लिए चींटी बाहर आती और उसे दबोच लेता और उसे जान से मार देता एक चींटी और चींटा भोजन के मारे तड़पते हुए श्री हरि विष्णु का जोरदार भजन करने लगे

भक्ति करते करते उन्हें यह भी मालूम नहीं था कि वह कहां है कहां नहीं है वह घोर तपस्या में लीन हो गए अंत में जाकर श्री हरि विष्णु उन्हें दर्शन देते हैं और भगवान विष्णु कहते हैं कि चिटा और चींटी जो तुम्हें मांगना है मांग सकते हो हम तुम्हारे भक्ति से प्र्शन है क्योंकि चींटा और चींटी ने निरंतर भक्ति की थी नहीं कोई जल ग्रहण किया और ना ही कोई और इसीलिए भगवान विष्णु बहुत जल्दी प्र्शन हो गए वहाँ चींटा और चींटी ना जाने कितने दिनों से भूखे और प्यासे थे दोनों एक ही बात कहते हैं कि हे प्रभु अगर आप हमें वर देना चाहते हैं तो हमारे पेट में गांठ लगा दीजिए उन्होंने सोचा अगर हमारा पेट ही नहीं होगा तो हम बाहर क्यों जाएंगे और मोर मोरनी हमें नहीं खाएंगे

इसीलिए उन्होंने मांगा कि हे प्रभु हमारे पेट में गांठ लगा दीजिए भगवान विष्णु कहते हैं तथास्तु और चीटियों के पेट में गांठ लग जाती है आज भी उन चीटियों के पेट में गांठ लगी हुई है चीकू अब उनके पेट नहीं है फिर चीता और चींटी भगवान विष्णु से कहते हैं कि हे प्रभु हमारे पेट में तो लग गई है लेकिन अभी भी हमें मोर और मोरनी से खतरा है और मोर और मोरनी हमारे इंतजार में अभी भी ऊपर जमीन पर बैठे हैं और वे लोग हमें जैसे ही देखेंगे हमें मार देंगेभगवान विष्णु चींटा और चींटी मोर के सामने लाते हैं भगवान विष्णु मोर और मोरनी से कहते हैं किअब से तुम चीटियों का शिकार करना बंद करो इसमें चीटियों का कोई दोष नहीं है जो दोषी था ओ राजा था क्योंकि राजा ने करा शास्त्र की पढ़ाई की थी

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इसीलिए वह सभी जीव जंतु का भाषा को समझने में सक्षम था उसके साथ-साथ वहीं भाषा को समझता था उनका रूप बदलने में भी वह सक्षम था उन पशु पक्षियों का स्वरूप धारण किया करता था और जब वह राजा रूप धारण करता था तब पशु पक्षियों के साथ संभोग भी किया करता था और जब वह पशु पक्षी गर्भ धारण करते थे तो उन्हें छोड़कर के इंसान बन जाता था और फिर ऐसी पशु पक्षियों पर वहजोर जोर से हंसता था इसकी इसी मूर्खता के कारण ही आज यह राजा पत्थर का बना पड़ा है

मोर और मोरनी कहते है उसकी रानी का क्या दोष है श्री हरि विष्णु कहते हैं कि उनके पत्नी भी उनके इस पाप में भागी है क्योंकि उनकी पत्नी अगर उनको रोकती तो वह इतना बड़ा पाप नहीं करता इसीलिए उनकी रानी भी एक पाप की भागीदारी है इसलिए आज वह भी पत्थर का बन चुकी है श्री हरि के कहने के बाद मोर उनसे कहता है कि

हे प्रभु अगर इस बात को हम किसी और से कहें जो कि रानी ने मुझे सुनाइए तो क्या हम पत्थर का बन जाएंगे श्री हरि विष्णु कहते हैं कि तुम्हारा यह श्राप समाप्त हो चुका है तुम्हें किसी से कहने पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा आप किसी से भी कह सकते हैं तुम्हारे ऊपर से खतरा टल चुका है मोर और मोरनी प्रसन्न हो जाते हैं श्री हर अंतर्ध्यान हो जाते हैं और जोरदार नाचने लगा उसकी खुशी का कोई ठिकाना नहीं था खुशी के मारे अपने पैरों के नीचे देखते हुए को देखकर रोने लगता है मोर सोचने लगता है कि पहले से तो आज मेरा पूरा बदन सुंदर है लेकिन मेरा पैरों का फटने का कारण क्या था मोर के पैरों का फटने का कारण चींटी खाना था क्योंकि उसमें बहुत सारे चींटी मार मारकर खाई थी और मोरनी ने भी खाई थी

इसीलिए उनका पैर फट गए आज भी कोई इंसान अगर चींटी खाता है तो उसके शरीर में छोटे-छोटे दाने बन जाते हैं यदि आप ज्यादा मात्रा में चींटी खाओगे तो आपका बदन भी फटने लगेगा इसी तरह मोर के पैर भी फट गए थे बदसूरत हो गए थे इसीलिए मोर अपने पैरों को देखकर जोर जोर से रोने लगा मोरनी कहती है धीरज रखिए जो होना था वह तो हो गया रोने से क्या होगा मोर नाचता है और जोर-जोर से रोता है इसीलिए मोरनी उसके आंखों से आंसुओं को नीचे गिरने से रोकती लेकिन रोक नहीं पाती तो है नहीं लेकिन उनमे से से एक-एक आंसू उठाती और अपने मुख रखने की कोशिश करती लेकिन कितना भी रखले सीधे मोरनी के पेट में चले जाते

इस तरीके से बार बार मोरनी मोर की आंसुओं को रोकती और मोर नाचता और खूब जोर-जोर से रोता मोर के आंसू को देखकर और मोरनी के प्यार को देख कर भगवान श्रीहरि फिर से दर्शन देते हैं मोर मोरनी को आशीर्वाद देते हैं और कहते हैं कि तुम्हारा प्रेम ऐसे ही सदा बने रहे इस आशीर्वाद के वजह से मोर और मोरनी और कभी संभोग नहीं करते क्योंकि मोर नाचता है उसकी आंखों से आंसू गिरते हैं और उन आशु को मोरनी छुपती है और उसी आंसू के कारण मोरनी गर्भवती हो जाती है भगवान श्रीहरि मोर मोरनी को आशीर्वाद देते हैं और कहते हैं तुम धन्य हो एक समय ऐसा भी आएगा कि तुम्हारे पंखो को मुकुट बनाकर धारण करेंगे इसीलिए कहते हैं कि जब श्री कृष्ण के रूप में श्री हरी धरती पर आते हैं तो मोर मुकुट के साथ आये थे

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